नृत्य एवं विशेषकर कथक के क्षेत्र में बिरजू महाराज का अतुलनीय योगदान रहा, उनके घुंघरूओं की थाप और संगीत की लय और ताल आज भी जनमानस में अपनी छाप छोड़े …
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